डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 1,400 करोड़ रुपये और शेयरों में 3,919 करोड़ रुपये का निवेश किया। कर्ज 1-26 नवंबर के बीच खंड।
इससे कुल शुद्ध निवेश 5,319 करोड़ रुपये हुआ।
“तब से एफपीआई बड़ी मात्रा में बैंकिंग स्टॉक रखते हैं, वे इस सेगमेंट में प्रमुख विक्रेता रहे हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, निरंतर बिकवाली ने बैंकिंग शेयरों को मूल्यांकन के नजरिए से आकर्षक बना दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि 26 नवंबर को बाजार में तेज गिरावट मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और हांगकांग में देखे गए वायरस के नए तनाव से उत्पन्न चिंताओं से उत्पन्न हुई है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘हालिया सुधार के बावजूद, बाजार ऊंचे स्तर पर बना हुआ है और इसलिए एफपीआई ने मुनाफावसूली की होगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय ऋण बाजारों में एफपीआई प्रवाह के संबंध में साप्ताहिक आधार पर ट्रेंड रिवर्सल एक आदर्श बन गया है।
एफपीआई नए कोरोनावायरस संस्करण के प्रसार और विश्व स्तर पर विकास पर इसके संभावित प्रभाव को करीब से देख रहे होंगे।
उन्होंने कहा कि उच्च मूल्यांकन भी एक चिंता का विषय है जिससे नियमित अंतराल पर मुनाफावसूली जारी रह सकती है।
श्रीकांत चौहान, हेड-इक्विटी रिसर्च (खुदरा), कोटक सिक्योरिटीज।